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हरि ब्यापक सर्बत्र समाना। प्रेम तें प्रगट होहिं म

हरि ब्यापक सर्बत्र समाना।
 प्रेम तें प्रगट होहिं मैं जाना॥
देस काल दिसि बिदिसिहु माहीं।
 कहहु सो कहाँ जहाँ प्रभु नाहीं॥

भावार्थ-
"मैं तो यह जानता हूँ कि भगवान
 सब जगह समान रूप से व्यापक हैं,
 प्रेम से वे प्रकट हो जाते हैं,
 देश, काल, दिशा, विदिशा में बताओ,
 ऐसी जगह कहाँ है, 
जहाँ प्रभु न हों।"













.

©Asheesh Mishra #राम #रामचरितमानस #रामायण
हरि ब्यापक सर्बत्र समाना।
 प्रेम तें प्रगट होहिं मैं जाना॥
देस काल दिसि बिदिसिहु माहीं।
 कहहु सो कहाँ जहाँ प्रभु नाहीं॥

भावार्थ-
"मैं तो यह जानता हूँ कि भगवान
 सब जगह समान रूप से व्यापक हैं,
 प्रेम से वे प्रकट हो जाते हैं,
 देश, काल, दिशा, विदिशा में बताओ,
 ऐसी जगह कहाँ है, 
जहाँ प्रभु न हों।"













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©Asheesh Mishra #राम #रामचरितमानस #रामायण