वो पिता की उंगली पकड़कर चलते-चलते "देश चलाना सीख गई" माँ के आँचल में उसकी परछाई बन गई, भाई के साथ रहकर निडर होना सीख गईं, और सिखा रही रिश्तो को जीना सबके चेहरों पर मुस्कान लाना, उम्र के साथ कई रिश्ते निभाना सीख गई, वो देश और परिवार की रक्षा के लिए साहसी बन जाती, तो कभी माँ-बाबा से बिछड़ने पर कमजोर हो जाती, वो घर की जरूरतों को अपना सुकून काटकर पूरा करती, धैर्य की जीती जागती परिभाषा है वो, बेटी होने पर गर्व है मुझे, "ठाकुर मोहे इतना ही कीजो अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो" मेरे अल्फाज़ (मेधा भारद्वाज) ©Medha Bharadwaj daughters day special #daughter #proudtobegirl #HappyDaughtersDay2020