मौसम की तरह तुम मेरी ज़िंदगी में आए पहले वो हल्की हल्की फुसार सी बारिश जिसने जगा दी तुमसे मिलने की दिल में ख्वाहिश फिर चड़ते वसन्त में हर जगह हरियाली और तेरे से बाते और वो भी ख्याली फिर वो धीरे धीरे मौसम हुआ शरद तेरे से दूरी से दिल में होने लगा दर्द फिर वो मौसम था पतझड़ प्यारी बातें लगने लगी बड़बड़ और रिश्ते में होने लगी गड़बड़