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मुझे रोग लगा है फकीरी मैं खुद का नहीं फिर क्या ति

मुझे रोग लगा है फकीरी
 मैं खुद का नहीं फिर क्या तिरी
 हम छोड़ जाएंगे सब हिरी
 ऐसा दर्द लगा है फकीरी 
मैं पीता नहीं हूं मैं महखाना
 यह शराब की बोतलें भी ले जाना 
मैं बिखरा हुआ हूं दीवाना 
एक एहसान कर देना हीरिए 
गुलाब मत ले आना कब्र पर यह पीर है
 कहीं जज्बात जी नहीं नहीं उठे फिर से 
मैं धीरे-धीरे मिट रहा हूं शरीर से 
यादों को छोड़ कर जा रहा हूं तेरी दहलीज़ से #sanjaychampapur #apanakalamasanjay #मेरीडायकीकेकुछपन्ने #yq sanjay champapur
मुझे रोग लगा है फकीरी
 मैं खुद का नहीं फिर क्या तिरी
 हम छोड़ जाएंगे सब हिरी
 ऐसा दर्द लगा है फकीरी 
मैं पीता नहीं हूं मैं महखाना
 यह शराब की बोतलें भी ले जाना 
मैं बिखरा हुआ हूं दीवाना 
एक एहसान कर देना हीरिए 
गुलाब मत ले आना कब्र पर यह पीर है
 कहीं जज्बात जी नहीं नहीं उठे फिर से 
मैं धीरे-धीरे मिट रहा हूं शरीर से 
यादों को छोड़ कर जा रहा हूं तेरी दहलीज़ से #sanjaychampapur #apanakalamasanjay #मेरीडायकीकेकुछपन्ने #yq sanjay champapur