उससे मेरी बातें बस इतनी है। चंद बातें है। और बातें जितनी है हुई किस्मत रुकसत मुझे कोई अमावस की रात जितनी है। क्यों पूछूं सवाल उससे हर मर्तवा उसका जवाब हर बार ख़ामोशी जितनी है। कभी मिले तो मंजिल पूछूंगा उससे तेरी दूरी कितनी है। ये मेरे पैरो के छाले काफी है। या सास आखरी जितनी है। थक गया हु मैं सफर में ख़ामोशी इतनी है। तू जवाब क्यों नही देती क्या तेरी बातें कोरे पन्ने जितनी है। तू ही बता अब कोन सा इम्तिहान बाकी है। जिंदगी में मेरी सब छोर दिया मैने क्या जीना छोड़ देना जितनी है। #आर्य_पुरुष ©Arya purush #Lumi