~ ग़ज़ल ~
•| ओ नादान परिंदे घर आजा |•
परिंदा उड़ा कुछ हासिल करने, मुश्किलों से टकराकर मुस्कुराया था,
धूप कड़ी थी, बादल भी बरसे, तूफ़ानों से लड़कर ही उसने मुकाम बनाया था।
उड़ा दूर तक नील गगन में, आज़ादी का स्वाद भी चखा,
चमक दुनिया की चकाचौंध ने, उसका मन भरमाया था। #yqbaba#yqdidi#yqrestzone#rzमहफ़िल#rzमहफ़िल2#ग़ज़ल_ए_माही#rzमहिका