शुकिया,या खुदा! जो मुझ इंसान में इंसानियत बख्सी वरना आज तो इंसान भी पशु बने पड़े है। शुक्रिया,या खुदा!जो तूने मुझे पैरों में पुराने ही सही, जुते तो बख्से ,उनसे तो भाग्यशाली हु मै जो बिना पैरों के ही खड़े है। शुक्रिया,ऐ खुदा!जो तूने मुझे भारतीय बनाया जहाँ जन्म लेने की खातिर देवता भी कतार में खड़े है। अल्फाज ऐ दिल