वो टूट के बिखर गई,और मै मर्दानगी समझता रहा। उसकी आबरू को लूट कर,मै शेर सा फिरता रहा। मेरी हैवानियत उसको,इस कदर जलाया, की वो होश में रह कर भी बेहोश हो गई, उसकी माशुमियत को मै ,सरेआम कुचलता रहा। वो चीखती रही,मुझे मेरी बहन का वास्ता देकर, खुद को बचाने का,हर प्रयास करती रही, पर मै तो अंधा था,सिर्फ उसके जिस्म का भूखा था, मुझे कहा दया आई,मुझे कहा हया आई, कुछ पल की मस्ती के लिए,उसे दर्द देता रहा, मुझे आगे का और ना पीछे का,ख्याल था, उस वक़्त तो मै सिर्फ,आदमखोर था। मुझ जैसे हैवान का ,एक ही सजा है, सिर्फ मौत,ताकि औरो के जेहन से, ये हैवानियत ख़तम हो, दिल में दहशत हो, कुछ करने से पहले, मौत का मंजर याद आए, फिर ना कभी किसी माशुम की, माशुमीयत लूटने पाए। ©Raj Mani Chaurasia किसी की आबरू ना लूटने पाए ( कविता ) #Life #रेप#सजा#मौत