Nojoto: Largest Storytelling Platform

बचपन में बस्तों का बोझ ढोते रहे, जवानी में रिश्तों

बचपन में बस्तों का बोझ ढोते रहे,
जवानी में रिश्तों का बोझ ,
रातों में ख्वाब बुनते रहे,
दिन के उजालों में फटे दिल सिलते रहे।
सारी उम्र कभी औरो को मनाने में ,
तो कभी रिझाने में।
खुद को खुद से जुदा करते रहे।
स्वांसों की चाबी जितनी भरी थी खुदा ने,
बस खिलौनों की तरह कभी यहाँ,
तो कभी वहाँ न जाने कहाँ कहाँ ,
सुकूँ की तलाश में भटकते रहे।
हम नहीं हारे कभी जीवन की कशमकश में,
कभी गिरते तो कभी सम्हलते,
कभी टूटकर बिखरते ,
बस यूँ ही चलते रहे ,
यू ही चलते रहे।
Kavita panot 
@cosmic power

©Kavita jayesh Panot #जीवन#शान्ति#तलाश#भटकाव
बचपन में बस्तों का बोझ ढोते रहे,
जवानी में रिश्तों का बोझ ,
रातों में ख्वाब बुनते रहे,
दिन के उजालों में फटे दिल सिलते रहे।
सारी उम्र कभी औरो को मनाने में ,
तो कभी रिझाने में।
खुद को खुद से जुदा करते रहे।
स्वांसों की चाबी जितनी भरी थी खुदा ने,
बस खिलौनों की तरह कभी यहाँ,
तो कभी वहाँ न जाने कहाँ कहाँ ,
सुकूँ की तलाश में भटकते रहे।
हम नहीं हारे कभी जीवन की कशमकश में,
कभी गिरते तो कभी सम्हलते,
कभी टूटकर बिखरते ,
बस यूँ ही चलते रहे ,
यू ही चलते रहे।
Kavita panot 
@cosmic power

©Kavita jayesh Panot #जीवन#शान्ति#तलाश#भटकाव