#MessageOfTheDay छोड तम की राह,थामें बांह चल उम्मीद की गलियां तलाशें, जो मंजिल खो चले हैं भूल की उन नगीनों को तराशें, जगायें नींद से गुमराह की, सुने आवाज उनकी बेबसी की आह की। चलो आशा की आभा से जरा उनको मिला दें, थोडा संतोष का ये नीर उनको भी पिला दें, गमों के ढेर ढोये हैं जिन्होंने, रतिभर ही सही, चल खुशी उनको दिला दें। ©Anand Prakash Nautiyal #गुमराह#तम#खुशी#संतोष #Messageoftheday