इत्र हू छुप के सांसों में घुलता हूँ कुछ इस तरह मैं अक्सर तुमसे मिलता हूँ तेरे जिस्म की तह मेरी जमीं है तू तब मचलती है मैं जब उसपे चलता हूँ तेरे होने से वजूद मेरा है तू पूछती है मैं फ़िक्र आखिर क्यों करता हूँ बारिश भी बहाना हैं मुझें बहाने का यहां सावन भी जलता हैं मैं तेरा जब जिक्र करता हूँ ©Yash Verma #इत्र #perfume #erotica #Love #milan