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इत्र हू छुप के सांसों में घुलता हूँ कुछ इस तरह म

इत्र हू छुप के सांसों में घुलता हूँ 
कुछ इस  तरह मैं अक्सर तुमसे मिलता हूँ 
तेरे जिस्म की तह मेरी जमीं है 
तू तब मचलती है 
मैं जब उसपे चलता हूँ 
तेरे होने से वजूद मेरा है 
तू पूछती है मैं फ़िक्र आखिर क्यों करता हूँ
बारिश भी बहाना हैं 
मुझें बहाने का
यहां सावन भी जलता  हैं 
मैं तेरा जब जिक्र करता हूँ

©Yash Verma #इत्र #perfume #erotica #Love #milan
इत्र हू छुप के सांसों में घुलता हूँ 
कुछ इस  तरह मैं अक्सर तुमसे मिलता हूँ 
तेरे जिस्म की तह मेरी जमीं है 
तू तब मचलती है 
मैं जब उसपे चलता हूँ 
तेरे होने से वजूद मेरा है 
तू पूछती है मैं फ़िक्र आखिर क्यों करता हूँ
बारिश भी बहाना हैं 
मुझें बहाने का
यहां सावन भी जलता  हैं 
मैं तेरा जब जिक्र करता हूँ

©Yash Verma #इत्र #perfume #erotica #Love #milan
yashverma1416

Yash Verma

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