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वक्त का पाहिआ मासूमियत से लूढकाने दे जिंदगी अभी ह

वक्त का पाहिआ मासूमियत से लूढकाने दे जिंदगी 
अभी हमारी उम्र ही कितनी हुई है 
और तूने खेल ए हकीकत शुरू कर दिया 
अरे! कुछ सपने बुन लेने दे  
मैं दूगी तेरे सारे इम्तहान सब्र कर 
मुझे कुछ पल बचपन की गलियों में गुजारने दे 
मालूम है थोड़ी बड़ी हो गई हूँ  
लेकिन याद कर मैंने शरारते भी तो एक उम्र बाद की थी 
तेरा साथ मुझे खूब भाता है 
लेकिन कुछ पल मुझे महबूब की बाहों में भी गुजारने दे 
तेरे बगैर वजूद नहीं मेरा जानती हूँ 
लेकिन कुछ लम्हे ही तो माँग रही 
यादों को जुटाने के लिए 
 #NojotoQuote
वक्त का पाहिआ मासूमियत से लूढकाने दे जिंदगी 
अभी हमारी उम्र ही कितनी हुई है 
और तूने खेल ए हकीकत शुरू कर दिया 
अरे! कुछ सपने बुन लेने दे  
मैं दूगी तेरे सारे इम्तहान सब्र कर 
मुझे कुछ पल बचपन की गलियों में गुजारने दे 
मालूम है थोड़ी बड़ी हो गई हूँ  
लेकिन याद कर मैंने शरारते भी तो एक उम्र बाद की थी 
तेरा साथ मुझे खूब भाता है 
लेकिन कुछ पल मुझे महबूब की बाहों में भी गुजारने दे 
तेरे बगैर वजूद नहीं मेरा जानती हूँ 
लेकिन कुछ लम्हे ही तो माँग रही 
यादों को जुटाने के लिए 
 #NojotoQuote