पल्लव की डायरी खुली अर्थव्यवस्था के जोखिम हम सब को सता रहे है वेंटीलेटर पर पड़ा रुपया डॉलर से मात खा रहे है हजारो हाथ श्रम के हमारे पास संसाधनों से हम नहा रहे है विश्व के आका के जाल में फंसकर बौना भारत को करते जा रहे है बन्द करो मनमानी विश्वबैंको की मानक स्वयं के तय कर लो फलेंगे फूलेंगे हम अपनी ही व्यवस्था में सारे एग्रीमेंट डिस मिस कर दो टेरिफ टेरिफ का खेल खत्म जरूरत होगी जिसे वह जख मारकर हमारी शर्तों पर व्यापार करेगा वरना यूरोपीय देश भिखमंगे होकर नाक भारत की चौखट पर रगड़ेगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Budget23 नाक भारत की चौखट पर रगड़ेगा