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नीम के कड़वे फूल प्रातः की आई तरुणाई । शीतल बयार

नीम के कड़वे फूल

प्रातः की आई तरुणाई ।
शीतल बयार लेती अंगड़ाई ।
इत्र पवन में घोल रहे हैं
मारे खुशी के डोल रहे हैं।
ओस तन लपटी पगड़ंडी 
निद्रा से अलसायी धूल ।
जगाते थपकी देकर उनको
नीम के कड़वे फूल ।

पछुआ ने है आँख दिखाया ।
उनको अब है गुस्सा आया।
खुशबू अपनी समेट चले हैं।
क्रोधागिन से आनन जले हैं।
समय नहीं सदा सम रहता
पर उनकी थी यह भूल ।
कुम्हला रहे हैं दिवा तपिश से
नीम के कड़वे फूल । इमेज सोर्स -इंडियामार्ट

नीम के कड़वे फूल

प्रातः की आई तरुणाई ।
शीतल बयार लेती अंगड़ाई ।
इत्र पवन में घोल रहे हैं
मारे खुशी के डोल रहे हैं।
नीम के कड़वे फूल

प्रातः की आई तरुणाई ।
शीतल बयार लेती अंगड़ाई ।
इत्र पवन में घोल रहे हैं
मारे खुशी के डोल रहे हैं।
ओस तन लपटी पगड़ंडी 
निद्रा से अलसायी धूल ।
जगाते थपकी देकर उनको
नीम के कड़वे फूल ।

पछुआ ने है आँख दिखाया ।
उनको अब है गुस्सा आया।
खुशबू अपनी समेट चले हैं।
क्रोधागिन से आनन जले हैं।
समय नहीं सदा सम रहता
पर उनकी थी यह भूल ।
कुम्हला रहे हैं दिवा तपिश से
नीम के कड़वे फूल । इमेज सोर्स -इंडियामार्ट

नीम के कड़वे फूल

प्रातः की आई तरुणाई ।
शीतल बयार लेती अंगड़ाई ।
इत्र पवन में घोल रहे हैं
मारे खुशी के डोल रहे हैं।

इमेज सोर्स -इंडियामार्ट नीम के कड़वे फूल प्रातः की आई तरुणाई । शीतल बयार लेती अंगड़ाई । इत्र पवन में घोल रहे हैं मारे खुशी के डोल रहे हैं। #NatureLove