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जो बचपन भरा होना था प्रेम और पुचकारों से, बर्बाद

जो बचपन भरा होना था प्रेम और पुचकारों से, 
बर्बाद हो रहा है। दरिंदगी और बलात्कारों से, 
खो बैठे हैं हम इंसानियत यारों, 
क्या फायदा धर्म और त्यौहारों से, 
©जलज कुमार #Stoprape 
जो बचपन भरा होना था पुचकारों से, 
बर्बाद हो रहा है। बलात्कारों से, 
खो बैठे हैं हम इंसानियत यारों, 
क्या फायदा धर्म और त्यौहारों से, 
©जलज कुमार
जो बचपन भरा होना था प्रेम और पुचकारों से, 
बर्बाद हो रहा है। दरिंदगी और बलात्कारों से, 
खो बैठे हैं हम इंसानियत यारों, 
क्या फायदा धर्म और त्यौहारों से, 
©जलज कुमार #Stoprape 
जो बचपन भरा होना था पुचकारों से, 
बर्बाद हो रहा है। बलात्कारों से, 
खो बैठे हैं हम इंसानियत यारों, 
क्या फायदा धर्म और त्यौहारों से, 
©जलज कुमार