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तेरे लिए कभी सजी थी हाथों में कंगन, पैरो में पायल

तेरे लिए कभी सजी थी 
हाथों में कंगन, पैरो में पायल
माथे पे बिंदी, होठों पे लाली
बस तेरे लिए हर शुंगार किया है
थोड़ी नादान थी मैं
आंखों में थोड़ी सी नमी सी थी
पहली बार मिली थी ना आपकी इसलिए
पता नही क्यों आपको में पसंद ही ना आई...

©maher singaniya #adishakti
तेरे लिए कभी सजी थी 
हाथों में कंगन, पैरो में पायल
माथे पे बिंदी, होठों पे लाली
बस तेरे लिए हर शुंगार किया है
थोड़ी नादान थी मैं
आंखों में थोड़ी सी नमी सी थी
पहली बार मिली थी ना आपकी इसलिए
पता नही क्यों आपको में पसंद ही ना आई...

©maher singaniya #adishakti