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जीवन ज्योति फूँकि दे.. करे अकारथ लक्ष्य... ललचाउत

जीवन ज्योति फूँकि दे..
करे अकारथ लक्ष्य...
ललचाउत जारे जरा
जिभला हारे जग्ग.. ..
बोली-बघेली✍️ अर्चना'अनुपमक्रान्ति'
(अर्थ-जीवन का प्रकाश मिटाकर 
अपने मानवीय देह के उद्देश्य को 
व्यर्थ कर किसी ऐंसे भोग की 
जिसका स्वाद भी अब उसके लिए 
वर्जित है; की चाह करता अपना 
बुढ़ापा गंवा देता है, जो मनुष्य;
समय रहते अपनी जिव्हा👅 पर 
नियंत्रण नहीं रख पाता)

©Archana pandey
  #सेहत