#OpenPoetry बाज़ार ग़म का खरीदार न जग में खुशियों के खरीदार बहुत ईमानदारी न बिकती जग में बईमानी के बाज़ार बहुत कर्ज़ में हिस्सेदार न कोई धन में हिस्सेदार बहुत सस्ते की कद्र न होती महंगे के कद्रदान बहुत गरीब का कर्ज़ न मिटता जग में अमीरी के एहसान बहुत ।। #nojotohindi#bazaar#openpoetry#kavita