#5LinePoetry कभी जिस हवा को ह्म अपनी साँसो के साथ किसी के रूह को मेहसूस कर संकुण से याद कर लिया करते थे,अब तो तो हवा भी खफ़ा हो गई हैं,हमारी गल्तियों के कारण अब तो न ही खुल के उसकी ताज़गी को मेहसूस कर सकतें हैं और न ही सुभा की ठंडी-ठंडी हवा के उन झोंके को मेहसूस कर सकते है,अप्नी साँसो के साथ!! ©ShivShankar #5LinePoetry #Nature ठंडी हवा के झोंके