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वजूद की तलब में इंसान, ना जाने क्या क्या कर डाला ह

वजूद की तलब में इंसान, ना जाने क्या क्या कर डाला है।
छूट गए है उसके बंधन सारे, उसको अकेला कर डाला है।
अपनी पहचान की खातिर वो, रिश्तों का स्नेह मिटाया है,
बनी रहे पहचान उसकी, सब रिश्तों का गला घोंट डाला है।
आसमान में उड़ने की चाहत ने, मोह माया को भुलाया है,
प्रेम भाव को मिटा कर उसने, अपने संस्कारों को मिटाया है।
सपनों को पाने की चाह में, अपनों को भी भूल गया,
कुछ ऐसी है आज की पीढ़ी ये, ईर्ष्या द्वेष को जगाया है।। ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌷"वज़ूद की तलब" 🌷

Meaning : Summon of existence

🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दिए हुए शब्द को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।
वजूद की तलब में इंसान, ना जाने क्या क्या कर डाला है।
छूट गए है उसके बंधन सारे, उसको अकेला कर डाला है।
अपनी पहचान की खातिर वो, रिश्तों का स्नेह मिटाया है,
बनी रहे पहचान उसकी, सब रिश्तों का गला घोंट डाला है।
आसमान में उड़ने की चाहत ने, मोह माया को भुलाया है,
प्रेम भाव को मिटा कर उसने, अपने संस्कारों को मिटाया है।
सपनों को पाने की चाह में, अपनों को भी भूल गया,
कुछ ऐसी है आज की पीढ़ी ये, ईर्ष्या द्वेष को जगाया है।। ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌷"वज़ूद की तलब" 🌷

Meaning : Summon of existence

🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दिए हुए शब्द को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।