खामोशी भरी रातें हो तुमसे कभी मुलाकातें हो मैं देखूं तुम्हें जब-जब मेरी सांसे चले तब-तब वर्षों बीत गए पर,ना लौटा वो पल मगर वह मुलाकाते ना मिली, जिससे हमारी जिंदगी में प्यार की शुरुआत थी चली। ज्योति गुर्जर #राते