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प्यार वो नशा है, जो सभी की रगो में बसा है..! कौन

 प्यार वो नशा है,
जो सभी की रगो में बसा है..!

कौन पहचान पाया आख़िर,
किसने किसको डसा है..!

चाहतों का महल,
उजड़ा किसी का..!

कोई ऊँची ईमारत पे,
ख़ूब हँसा है..!

ज़िन्दगी है ये बिन,
प्रेम के कहाँ संभव..!

ईश्वर ने सभी को यूँ,
मोहब्बत की डोर में कसा है..!

©SHIVA KANT
  #lonelynight #pyareknasha