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कोई ग़म नहीं कोई समझे न समझे अगर तुम भी न समझो तो


कोई ग़म नहीं कोई समझे न समझे
अगर तुम भी न समझो तो ये बेमानी है
दिल को है तेरी चाहत का भरोसा
जिस्म से परे ये रिश्ता रूहानी है

तेरे जिक्र ने बढ़ाया है मुश्किलों को मेरी
अपनी हदों को न समझूं तो मेरी ये नादानी है
इश्क में भी तेरे अजब सी कशिश है
समझो तो शराब है ना समझो तो पानी है...

© abhishek trehan





 🎀 Challenge-216 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।

कोई ग़म नहीं कोई समझे न समझे
अगर तुम भी न समझो तो ये बेमानी है
दिल को है तेरी चाहत का भरोसा
जिस्म से परे ये रिश्ता रूहानी है

तेरे जिक्र ने बढ़ाया है मुश्किलों को मेरी
अपनी हदों को न समझूं तो मेरी ये नादानी है
इश्क में भी तेरे अजब सी कशिश है
समझो तो शराब है ना समझो तो पानी है...

© abhishek trehan





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