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ओ परदेश को जाने वाले लौट के फिर न आने वाले सात सम

ओ परदेश को जाने वाले 
लौट के फिर न आने वाले
सात समंदर पार गया तू 
हमको जिंदा मार गया तू
खून के रिश्ते तोड़ गया तू
आंखों में आंसू छोड़ गया तू
कम खाते है कम पीते है 
बहुत ज्यादा हम रोते है #चिट्ठी आयी है
ओ परदेश को जाने वाले 
लौट के फिर न आने वाले
सात समंदर पार गया तू 
हमको जिंदा मार गया तू
खून के रिश्ते तोड़ गया तू
आंखों में आंसू छोड़ गया तू
कम खाते है कम पीते है 
बहुत ज्यादा हम रोते है #चिट्ठी आयी है

#चिट्ठी आयी है