किस्से पुराने हैं अशिक के यारों, सुनाते हैं महफ़िल में बीमार बन के, आबाद है आज भी घर उसका, बताते हैं, महफ़िल में, दिलदार बन के बरबादी हुनर, जो भी सिखा मोहब्बत में महफ़िल में गाते हैं, आशार बन के, तमाशा-ए इश्के में फिरदौस दुनिया, सजाता हूँ महफ़िल में, दिवार बन के। ©Senty Poet #no #loV€fOR€v€R #Told #Love #drowning