वक़्त के साथ बदलना पड़ता है, मुश्किल से थामेगा हाथ कोई शिद्द्त से.. गिरकर ख़ुद.. खुद ही सम्भलना पड़ता है.. बस इतना ख़्याल रखना जरूर मेरे दोस्तों, बेसक कोई तवज्जो दे.. या, न दे, अपनी मन्जिल का रास्ता ख़ुद पकड़ना पड़ता है, काँटे बहुत मिलेंगे हर राह में, हर बार कदम रोकने को, पुष्कर की मानो तो बस ख़ुद के पदचिन्हों को समझना पड़ता है, जो छोड़ दे साथ तुम्हारा कभी कोई, बिना तुम्हें समझे ही, उनके लिए भी वक़्त का इंतजार करके, वक़्त आने पे ऐहसास दिलाना पड़ता है. बहुत इम्तहान देने होते है ज़िन्दगी में कई बार, पास होकर तो कभी फैल होकर भी ज़िन्दगी के साथ चलना पड़ता है । ©प्रकृति प्रेमी #nikita #raah #sayri #La #School