मोहब्बत मर चुकी है अब तो, बस इश्क़ का शैतान बाकी है । लुट चुकी है सल्तनत इश्क़ की, बस इश्क़ का सुल्तान बाकी है। दरबार सजा है हुस्न का, बस मौत का फरमान बाकी है। जानता हूँ की हांसिल नहीं वो, बस उसे पाने का अरमान बाकी है। लेखक - अंकित पालीवाल अरमान बाकी है