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रोक दूँ ये कलम या बस लिखता रहूं छुप जाऊं किसी रोज़

रोक दूँ ये कलम या बस लिखता रहूं
छुप जाऊं किसी रोज़ या बस दिखता रहूं। 

खुशियां इतनी महँगी हो गई है बाजारों में
लौट चलूँ अब घर या बस बिकता रहूं. ।

ये जिंदगी की क़िताब में ग़म ही ग़म है 
बंद कर दूं इसे या बस पलटता रहूं। 

दोस्त तो कई बन गए हैं नये शहर में आकर 
बता दूं सब बात या बस तड़पता रहूं। 

मेरे मकां को घर बनाने वाली साथ नहीं है
अब आ जाऊँ मैं वापिस या बस भटकता रहूं। ✨ #poem#shayari #quotes #love#story
रोक दूँ ये कलम या बस लिखता रहूं
छुप जाऊं किसी रोज़ या बस दिखता रहूं। 

खुशियां इतनी महँगी हो गई है बाजारों में
लौट चलूँ अब घर या बस बिकता रहूं. ।

ये जिंदगी की क़िताब में ग़म ही ग़म है 
बंद कर दूं इसे या बस पलटता रहूं। 

दोस्त तो कई बन गए हैं नये शहर में आकर 
बता दूं सब बात या बस तड़पता रहूं। 

मेरे मकां को घर बनाने वाली साथ नहीं है
अब आ जाऊँ मैं वापिस या बस भटकता रहूं। ✨ #poem#shayari #quotes #love#story
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