आज फिर सुबह तेरी याद आई श्याम को सोचकर सोया था भूल जाऊँगा तुजे पर पर तू फिर मेरे सामने धीरे से आई मंद मंद मुस्कुराई, सरमाई और आवाज़ भी लगाई क्या ह क्यों ह ये तेरी रुसवाई मेरी समझ में आज तक नहीं आई B@+++