लड़किया भी अजीब होती है लबों से कुछ नहीं कहती बस खामोश रहती है और बुनती रहती है मुंगेरीलाल के हसीन सपने सपने जिनका कोई संबंध नहीं होता यथार्थ से और दोषी ठहराती है किसी ओर को जब वह इनके सपने पूरे नहीं कर पाता और वह व्यक्ति जिसे दोषी ठहराया गया है दुविधा में है पहले तो सबकुछ ठीक था अचानक क्या हुआ क्या गलती हुई मुझसे वह हैरान है इस बदले हुए व्यवहार से उसकी आँखो से नींद भी नाराज़ है अब तो ~ प्रणव पाराशर लड़कियां.....