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थाम लो हाथ मेरा, उससे कहना नहीं आया..! आवेग में र

 थाम लो हाथ मेरा,
उससे कहना नहीं आया..!
आवेग में रहकर भी,
उसे बहना नहीं आया..!
इश्क़ मोहब्बत की,
अपनी अलग परंपरा है..!
चट्टान सा बना रहा वो पर,
प्रेम में उसे ढहना नहीं आया..!
ख़ुशियाँ मिलती रहीं,
फूल सा खिलती रहीं..!
ग़म के ज़रा से भी,
काँटों को सहना नहीं आया..!
लाख जतन किया मैंने,
उसे बहुत मनाने का..!
मेरे इश्क़ के महल में भी,
उसे पर रहना नहीं आया..!

©SHIVA KANT
  #thamlohathmera