निशानी-ए-मोहोब्बत ***************** रातों को ख़ुदको कौन जगाता हैं, जो सच्चे प्यार में होता है। इंतज़ार में पलकें कौन बिछाता है, जो सच्चे प्यार में होता है। हर बात खुलकर कौन बताता है, जो सच्चे प्यार में होता है। बिन गलती सर कौन झुकाता है, जो सच्चे प्यार में होता है। किसी पर हक कौन जताता है, जो सच्चे प्यार में होता है। महबूब के लिए सब कौन कर जाता है, जो सच्चे प्यार में होता है। छोड़कर कौन नही जा पाता है, जो सच्चे प्यार में होता है। सुख मिले या दुःख हर हाल में रिश्ता कौन निभाता है, जो सच्चे प्यार में होता है। ढूँढकर अपनों के लिए वक़्त कौन लाता है,जो सच्चे प्यार में होता है। किसी को नज़रंदाज़ कौन नही कर पाता है,जो सच्चे प्यार में होता है। जाने को बोले जाने पर भी अक़्सर ठहर कौन जाता है,जो सच्चे प्यार में होता है। अपनी जान को डाँटकर बाद में अश्क़ कौन बहाता है, जो सच्चे प्यार में होता है। ©V.k.Viraz #LAST_ONE