तुम्हारी यादें हो जैसे, किसी निशान की तरह। भूल नहीं सकता मैं इन्हें, किसी अंजान की तरह। मैं चाहता हूँ इनसे बचना, पर मुमकिन ही नहीं क्यूँकि, मुझसे ये सवाल करती हैं, किसी इम्तिहान की तरह। इन यादों के समंदर में, लहरें उठती हैं रातों दिन। मन काबू में रहता नहीं, कभी भी जुबान की तरह। ये अक्सर घेरती हैं मुझे, अपने सवालों के तूफान से, जैसे फैसला होना हो, मेरे किसी बयान की तरह। #yosimwrimo में आज का simile #challenge है - #तुम्हारीयाद जैसे #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #yaadein #nishan #bayaan #meri_khwahish