।। हिन्दी सप्ताह ।। जैसे नारी का सिंगार है उसके माथे की बिंदी हिंदुस्तान के चेहरे पर खिलती है बोली हिंदी जैसे बिन बिंदी नारी के सिंगार की अधूरी है कहानी हिंदी ही हिंदुस्तान की है पहचान पुरानी खिल खिल जाता है हर एक लफ्ज़ जैसे कोई अल्हड़ जवानी होठों पर जब आती है जब हिंदी, हो जाती है चाल मस्तानी शब्दों का है यह समंदर हिंदी ,जिसका कभी घटे न पानी रूह से रूह मिल जाती है ऐसी है इसके अस्तित्व की का निशानी कभी निकलो गलियों में मिलेंगे इसके हर एक रुप की दीवानी धन्य है जो जन्म लिया हिंद में और होठों पर सजी हिंदी की वाणी @विकास #HindiDiwas2020 हिंदी सप्ताह