सफर की जो हद ही मालूम हो तो फिर कैसे मिशाल बने,,, कदम वहाँ तक ये जाए जहां धरती और आसमान मिले।।। मजा फिर क्या रहा इसका जो मंजिल आसानी से पाली,,, मजा तो तब ही आता है मुश्किलें आ जान पे बने।।। हर कोई जाल फैलाए बैठा है तुझे फसाने को,,, हुनर जो हो तुझमे तो ये जाल तेरी बुलंदी की मिशाल बने।।। ज़मी पे सितारे आ नहीं सकते ये माना,,,, तो क्यूँ ना तू सितारों भरा वो आसमान बने।।। मिटाने से तो मिट जाता है सब कुछ यहाँ,,, जो सदियों तक ना मिट पाए तू ऎसा एक निशान बने।।।