तेरे जाने के बाद गजब का वीरान हुआ है मेरा शहर * पता नही क्यु वो कैलाश की चाय अब मीठी नही लगती| तेरे साथ खाता था समौसे तो अच्छे लगते थे| पर अब उसकी चटनी खटटी नही लगती वो क्या दिन थे जब गलियां भूलकर भी घरपहुच जाते थे| और अब सीधे रास्तो से भी मंजिल नही मिलती| बहुत दिनो से बरसेनही बादल #मेरे शहर मे आओ तो बरस जाऐगे ये क्युकी अब इन खण्डरो की धूल अच्छी नही लगती| #MeraShehar #u r in heaven #my friend