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कि अभी ठहरे है,क्या पता. कल फिर निकल जायेंगे हम...

कि अभी ठहरे है,क्या पता.
कल फिर निकल जायेंगे हम....

कोई पत्थर थोड़ी न है,
कुछ देर में पिघल जायेंगे हम....

और बेख़बर रक्खो इरादे सभी,
यूँ ही थोड़ी न बदल जायेंगे हम.....

व ये जो जमीं पर पड़े हुए है,
यूँ ही थोड़ी न फिसल जायेंगे हम...

और रुख़्सती तो एक दिन होनी ही है,
वक़्त को थोड़ी न बदल जायेंगे हम... #Rukhsati......
कि अभी ठहरे है,क्या पता.
कल फिर निकल जायेंगे हम....

कोई पत्थर थोड़ी न है,
कुछ देर में पिघल जायेंगे हम....

और बेख़बर रक्खो इरादे सभी,
यूँ ही थोड़ी न बदल जायेंगे हम.....

व ये जो जमीं पर पड़े हुए है,
यूँ ही थोड़ी न फिसल जायेंगे हम...

और रुख़्सती तो एक दिन होनी ही है,
वक़्त को थोड़ी न बदल जायेंगे हम... #Rukhsati......