ज़िक्र है शहर का जिसमें मासूम सुरतैं हैं कतल करते हैं सीने में खंजर दबाए हुए किस किस तरह के पत्थर है यहां सागर होश उड़ाते हैं मकानों के खंडहर बनाए हुए धुआं धुआं सा दिखता है आसमान सारा वाहनों का शौक है बवंडर बनाए हुए पड़ोस की सूरतै भी मेहरूम हैं प्यार से जहन में नफरत के समंदर सजाए हुए Dr KR Prbodh #shahar