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मैं कर रहा हूँ आपसे तक़रार इन दिनों लिखता

मैं कर  रहा  हूँ  आपसे   तक़रार  इन  दिनों
लिखता   हूँ  शे'र  मैं  भी  दो चार इन दिनों 

इस इंतिखाब-ए-दौर  कोरोना  के  कहर  में
मरते  हैं  कितने  भूंख की  है मार इन दिनों 

मुद्दत  से  तेरी   राह  में  चल तो रहा  हूँ  मैं 
ईमां का  वर्ना लगता  है  बाजार  इन  दिनों 

ये कौन  है कि  जिसकी कलम डगमगा गई
लिखता है आधा झूठ जो अख़बार इन दिनों 

कोई और मिल गया है य दिल भर गया तेरा
क्यों देतें नहीं  तुम  मुझे   दीदार  इन  दिनों 

श्मशान-ओ-कब्रिस्तान क्यों लाशों से भरा है
क्या  कर रही कमाल ये  सरकार  इन दिनों  #hayat 
मवेशी - जानवर
दरकार - ज़रूरी /जरूरत
उकताना - बेज़ार /परेशान होना
आशजार - पेड़
सुस्त - धीमी

مفعول فاعلات مفاعیل فاعلن
मैं कर  रहा  हूँ  आपसे   तक़रार  इन  दिनों
लिखता   हूँ  शे'र  मैं  भी  दो चार इन दिनों 

इस इंतिखाब-ए-दौर  कोरोना  के  कहर  में
मरते  हैं  कितने  भूंख की  है मार इन दिनों 

मुद्दत  से  तेरी   राह  में  चल तो रहा  हूँ  मैं 
ईमां का  वर्ना लगता  है  बाजार  इन  दिनों 

ये कौन  है कि  जिसकी कलम डगमगा गई
लिखता है आधा झूठ जो अख़बार इन दिनों 

कोई और मिल गया है य दिल भर गया तेरा
क्यों देतें नहीं  तुम  मुझे   दीदार  इन  दिनों 

श्मशान-ओ-कब्रिस्तान क्यों लाशों से भरा है
क्या  कर रही कमाल ये  सरकार  इन दिनों  #hayat 
मवेशी - जानवर
दरकार - ज़रूरी /जरूरत
उकताना - बेज़ार /परेशान होना
आशजार - पेड़
सुस्त - धीमी

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hayat मवेशी - जानवर दरकार - ज़रूरी /जरूरत उकताना - बेज़ार /परेशान होना आशजार - पेड़ सुस्त - धीमी مفعول فاعلات مفاعیل فاعلن