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रंग ये शब्द ही कुछ ऐसा है जब भी जहन में आता है मन

रंग 
ये शब्द ही कुछ ऐसा है जब भी जहन में आता है मन जीवंत हो उठता है ।
ये रंग ही तो है जो हमारे तीखे रिश्तों के लिए कुसूरवार है
ये रंग ही तो है जो ज़िन्दगी के इस रंगीन छाया के लिए ज़िम्मेदार है ।
ये रंग ही तो है जिसको आधार बना कर इस प्रकृति में भेद किया जाता है ।
ये रंग ही तो है जिसके जरिये एक मासूम मारा जाता है ।
ये रंग ही तो है जिसमे ये दुनिया जीवंत लगती है ।
सुना है एक टूटे हुए पत्त्ते अक्सर रंगहीन हो जाया करते है ।।
आज कल तो ये रंग खूबसूरती के पैमाने बन चुके है ।
कुछ बिछड़े हुए आशिक तो कुछ पागल दीवाने बन चुके है ।
रंग है तो रंगीन ये दुनिया
रंग नही तो रंगहीन ये दुनिया 
रंग ही माया है 
रंग ही साया है 
आखिर ज़िंदगी ने ही रंग लाया है 
तो मत पूछो क्या खोया है क्या पाया है 
क्योंकि बाकी सब 
कुछ मोह है 
और कुछ माया है ।।
रंग 
ये शब्द ही कुछ ऐसा है जब भी जहन में आता है मन जीवंत हो उठता है ।
ये रंग ही तो है जो हमारे तीखे रिश्तों के लिए कुसूरवार है
ये रंग ही तो है जो ज़िन्दगी के इस रंगीन छाया के लिए ज़िम्मेदार है ।
ये रंग ही तो है जिसको आधार बना कर इस प्रकृति में भेद किया जाता है ।
ये रंग ही तो है जिसके जरिये एक मासूम मारा जाता है ।
ये रंग ही तो है जिसमे ये दुनिया जीवंत लगती है ।
सुना है एक टूटे हुए पत्त्ते अक्सर रंगहीन हो जाया करते है ।।
आज कल तो ये रंग खूबसूरती के पैमाने बन चुके है ।
कुछ बिछड़े हुए आशिक तो कुछ पागल दीवाने बन चुके है ।
रंग है तो रंगीन ये दुनिया
रंग नही तो रंगहीन ये दुनिया 
रंग ही माया है 
रंग ही साया है 
आखिर ज़िंदगी ने ही रंग लाया है 
तो मत पूछो क्या खोया है क्या पाया है 
क्योंकि बाकी सब 
कुछ मोह है 
और कुछ माया है ।।