"प्रलय" कुछ कहती ये प्रकृति हमसे, ये कैसा मातम मचाया है। गरिमा मिट, सी गई लोगों में, कोरोना का कहर जो छाया है। जो उझाडे थे वन हमनें, किसी ने घरों को उझाडा है। जो चौराहे गलिया,भरी हुई थी लोगों से, आज हर गली को, सुनसान पाया है। बुरी हवाओं ने, कहर जो ढाया है। कभी गिरजा, मस्ज़िद को जाते थे लोग, कभी श्री राम ने बचाया है। आज मुक्ति धाम को छोड़कर, सबको बंद पाया है। कोरोना ने केसा ये अतांक मचाया है। अपनों से दूर हम रहते नहीं दो पल, औरो से आस, पागलपंती की छाया है। कुछ कहती ये प्रकृति हमसे, तभी तो जीवन में प्रलय आया है। @charpota_natwar ©Navin #प्रलय #RaysOfHope