Pendemic Challenge-3 तन्हा हुई हूँ मैं इस भरी महफ़िल में सिसक रही हूँ अंदर ही अंदर दर्द में तड़प रही हूँ मैं तेरे दिए ज़ख्म से भुगत रही हूँ सज़ा तेरे इश्क़ में किया था जो यक़ीन तोड़ दिया तुमने तेरे झूठे वादे पर एतबार किया था मैंने दुनिया ने दिखाया था तेरी फ़ितरत का आईना ठुकराई थीं तज़ुर्बे की हर सीख मैने भुगत रही हूँ सज़ा तुझसे इश्क़ करने की हो रही हैं इंतेहा अब सब्र करने की गलती ना हो गर वो इंसान ही क्या हैं तेरे झूठे वादों की अब सज़ा ही क्या है Nominated and challenged by Nidhi Bansal #pnppendemic #nomineeday3