पहले के समय एक ही छाता होता था,
और पूरा परिवार बारिश में,उसके नीचे समाता था।
बडा़,काला और मजबूती उसकी पहचान थी
बरसों चलते रहने की उसकी आदत थी।
बाद में निकले रंगबिरंगी छाते,
सभी के मन को वही थे भाते।
हम भी उस पारिवारिक छाते को पकड़ शर्माने लगे,
नये छाते को दिलाने की माँग करने लगे।