विदेश पढ़ना कुछ बनने की चाह विदेश तक ले जाती है बिछड़ के परिवार के साथ जैसे जान सी निकल जाती है । उस पर विदेश में देश जैसा प्यार ना मिले तो बस मौत से बदतर जिंदगी बन जाती है स्वदेश मां की तरह फर्ज निभाता है जब हो रहे हो विदेश में युद्ध महामारी तो सारे जुगाड़ करके सुविधाओं के साथ बुलाता है ।। प्रार्थना है ईश्वर! कि मेरा प्यारा देश उन्नत आत्मनिर्भर विकसित हो जाए ना जाना पड़े विदेश पढ़ने के लिए ना छूटे अपने अपनों के लिए अपनो से। । ©Andaaz bayan #abroad