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नारी अपनी व्यथा भी कहाँ व्यक्त कर पाती है l दूसरों

नारी अपनी व्यथा भी कहाँ व्यक्त कर पाती है l
दूसरों के लिए स्वयं के दर्द को भी भूल जाती है l

कभी माँ स्वरूप बच्चों की जिम्मेदारी उठाती है l
कभी पत्नी स्वरूप घर में सामंजस्य बिठाती है l

कभी बेटी स्वरूप पढ़ाई संग घरेलू काम कर दिखाती है l
कभी बहू स्वरूप सास ससुर से घर की अनुमति मांगती है l

कभी बहन स्वरूप माता पिता और भाई के बीच सेतु बनाती है l
कभी सबका ख्याल रखते हुए स्वयं को नजरअंदाज कर जाती है l

नारी अपनी व्यथा भी कहाँ व्यक्त कर पाती है l
दूसरों के लिए स्वयं के दर्द को भी भूल जाती है l #naari #girl #woman
नारी अपनी व्यथा भी कहाँ व्यक्त कर पाती है l
दूसरों के लिए स्वयं के दर्द को भी भूल जाती है l

कभी माँ स्वरूप बच्चों की जिम्मेदारी उठाती है l
कभी पत्नी स्वरूप घर में सामंजस्य बिठाती है l

कभी बेटी स्वरूप पढ़ाई संग घरेलू काम कर दिखाती है l
कभी बहू स्वरूप सास ससुर से घर की अनुमति मांगती है l

कभी बहन स्वरूप माता पिता और भाई के बीच सेतु बनाती है l
कभी सबका ख्याल रखते हुए स्वयं को नजरअंदाज कर जाती है l

नारी अपनी व्यथा भी कहाँ व्यक्त कर पाती है l
दूसरों के लिए स्वयं के दर्द को भी भूल जाती है l #naari #girl #woman