नारी अपनी व्यथा भी कहाँ व्यक्त कर पाती है l दूसरों के लिए स्वयं के दर्द को भी भूल जाती है l कभी माँ स्वरूप बच्चों की जिम्मेदारी उठाती है l कभी पत्नी स्वरूप घर में सामंजस्य बिठाती है l कभी बेटी स्वरूप पढ़ाई संग घरेलू काम कर दिखाती है l कभी बहू स्वरूप सास ससुर से घर की अनुमति मांगती है l कभी बहन स्वरूप माता पिता और भाई के बीच सेतु बनाती है l कभी सबका ख्याल रखते हुए स्वयं को नजरअंदाज कर जाती है l नारी अपनी व्यथा भी कहाँ व्यक्त कर पाती है l दूसरों के लिए स्वयं के दर्द को भी भूल जाती है l #naari #girl #woman