में अपनी दोस्ती को शहर में रुस्वा नहीं करता, मोहब्ब्त में भी करता हूं मगर चर्चा नहीं करता, जो मुझ से मिलने आ जाऐ में उसका दिल से खादिम हूं जो उठकर जाना चाहें में उसे रोका नहीं करता, तेरा इसरार सर आंखों पर क तुम को भुल जाऊं मैं, में कोशिश करके देखुंगा मगर वादा नहीं करता, ©Mohd Hanif mere dil ki baat #kamiya