पदचिह्न मानवता के पदचिन्हों पर कौन चल रहा, मानव ही मानवता का दुश्मन बन रहा है। एक ओर मानवता मानवता दिखा रही है, प्राणों पर खेल के ज़िंदगियां बचा रही है। दूसरी तरफ मानवता का मखौल उड़ा रहे, रक्षकों पे ही जाहिलियत की हद कर रहे। महामारी को तो वह मज़ाक समझ रहे है, खुद तो खुद समाज के भी शत्रु बन रहे है। धर्म के नाम पे ज़िंदगियों से खेल खेल रहे, समाज को भी महामारी का ग्रास बना रहे। समय अभी हम सबको मिलकर रहने का, नियमों का पालन कर संभलकर रहने का। हम मानवता के पदचिन्हों पे अग्रसर चले, हम मिलजुलकर विकट महामारी से लड़े। JP lodhi #पदचिन्ह