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मेरी साइकिल मेरी साइकल एक दिन पापा वाली दूजे दिन

मेरी साइकिल  मेरी साइकल एक दिन पापा वाली दूजे दिन भैया वाली
 आधे बचपन ऐसे ही हवा चली  साइकल मुझसे नहीं चली
गिरते पड़ते फिर सीख लिया वो साइकल काली डंडे वाली
पढ़ने दसवीं शहर गया हो ली मेरी काली वाली
चली ढली वो खूब चली शायद थी अंतिम चाल चली
कक्षा दस से कक्षा बारा मैने उसको बड़ा सवारा
बस तीन साल ही चली कहानी फिर मैं घर से नौ दो ग्यारा
शायद वो तब से चली नही शौतन बाइक से जाली रही
धूप,कोप से जल भुनकर आँगन मे खिली बन कली रही
हां आज जरा सुध पाई है पर अब ये बड़ी लड़ाई है
कैसे कहाँ बनेगी क्या, ये अब उतना चलेगी क्या
कौन चलाएगा ये चक्की ,मैं जाता घर इक्की दुक्की
हां फिर भी वो आज खड़ी है
घर में कम से कम साइकिल एक खड़ी है

©दीपेश #भूली_बिसरी 
#WorldBicycleDay2021 
#Ohno
मेरी साइकिल  मेरी साइकल एक दिन पापा वाली दूजे दिन भैया वाली
 आधे बचपन ऐसे ही हवा चली  साइकल मुझसे नहीं चली
गिरते पड़ते फिर सीख लिया वो साइकल काली डंडे वाली
पढ़ने दसवीं शहर गया हो ली मेरी काली वाली
चली ढली वो खूब चली शायद थी अंतिम चाल चली
कक्षा दस से कक्षा बारा मैने उसको बड़ा सवारा
बस तीन साल ही चली कहानी फिर मैं घर से नौ दो ग्यारा
शायद वो तब से चली नही शौतन बाइक से जाली रही
धूप,कोप से जल भुनकर आँगन मे खिली बन कली रही
हां आज जरा सुध पाई है पर अब ये बड़ी लड़ाई है
कैसे कहाँ बनेगी क्या, ये अब उतना चलेगी क्या
कौन चलाएगा ये चक्की ,मैं जाता घर इक्की दुक्की
हां फिर भी वो आज खड़ी है
घर में कम से कम साइकिल एक खड़ी है

©दीपेश #भूली_बिसरी 
#WorldBicycleDay2021 
#Ohno