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" शब्द "

" शब्द "                                             
आजकल शब्दों का मिजाज भी -                             
कुछ मौसमों की तरह हो गया है निशीथ !                            
कभी तो उष्णता से सूख जाता है -                              
और कभी इतना बरसता है -                                             
कि सब कुछ भींग जाता है !                
कभी सर्दी की ठिठुरन बन -                              
मुझको सताता है ,                                   
और कभी बसंती बयार बन-                      
दिल में हजारों उम्मीदें जगाता  है !                                             # words are like seasons #
" शब्द "                                             
आजकल शब्दों का मिजाज भी -                             
कुछ मौसमों की तरह हो गया है निशीथ !                            
कभी तो उष्णता से सूख जाता है -                              
और कभी इतना बरसता है -                                             
कि सब कुछ भींग जाता है !                
कभी सर्दी की ठिठुरन बन -                              
मुझको सताता है ,                                   
और कभी बसंती बयार बन-                      
दिल में हजारों उम्मीदें जगाता  है !                                             # words are like seasons #