" शब्द " आजकल शब्दों का मिजाज भी - कुछ मौसमों की तरह हो गया है निशीथ ! कभी तो उष्णता से सूख जाता है - और कभी इतना बरसता है - कि सब कुछ भींग जाता है ! कभी सर्दी की ठिठुरन बन - मुझको सताता है , और कभी बसंती बयार बन- दिल में हजारों उम्मीदें जगाता है ! # words are like seasons #