ईर्ष्या तू कहां कहां दिखी तेरी कहानी लम्बी है तू दो शब्दों में बयां नहीं होती और मोहब्बत मजबूर है अपनी एक छोटी सी कमी से इसकी आंखों में आंसू तो हज़ार हैं मगर इसके जुबां नहीं होती ईर्ष्या तू कहां कहां दिखी